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हृदय पोषक रस ( Hriday Poshak Ras )

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हृदय पोषक रस  विवरण :- बदलती हुई जीवनशैली और ग़लत खानपान के कारण आज हम लोग कई रोगों के शिकार होते जा रहे हैं | उन कई रोगों में हृदय रोग भी है जिससे आज लाखों लोग पीड़ित है | हृदय रोग होने का प्रमुख कारण धूम्रपान , कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर , मधुमेह , शारीरिक व्यायाम का अभाव , अधिक वजन होना , डिप्रेशन आदि है | स्वस्थ जीवन जीने व हृदय रोग से बचने के लिए हृदय पोषक रस का सेवन करें | हृदय रोग के प्रकार :- 1. कडिर्योवास्कुलर रोग :- मधुमेह और उच्च रक्तचाप के कारण जब शिराओं और धमनियों में विकार पैदा होने लगता है तब यह रोग उत्पन्न होता है | 2. कॉर्डियोमायोपैथी :- किसी कारणवश जब हृदय की मांसपेशी मायोकार्डियम अपनी क्रियाशीलता खो देती है , तब यह रोग उत्पन्न होता है | इसे हृदय पेशियों का रोग भी कहते हैं | 3. वाल्वुलर हृदय रोग :- हृदय में चार वाल्व होते हैं और इन वाल्व में विकार उत्पन्न होने के कारण हृदय रोग होता है | 4. इंफ़्लेमेटरी हृदय रोग :- हृदय की मांसपेशियों में सूजन होने से यह रोग होता है। 5. हाइपरटेंसिव हृदय रोग :- हाई   ब्लड - प्रेशर के कारण यह रोग उत्पन्न होत

ओसेप्रोस्टा कैप्सूल (Oseprosta Capsules)

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                                           ओसेप्रोस्टा कैप्सूल                            प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन व वृद्धि के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक पेटेंट औषधि    विवरण :- 50 वर्ष पार कर चुके पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना एक आम समस्या है , जिसके कारण बार-बार पेशाब जाना पड़ता है और कई बार तो पेशाब रुक जाने की तकलीफ़देह परिस्थिति से भी मरीज को गुज़रना पड़ता है | प्रोस्टेट असल में मेल रिप्रोडक्टिव ग्लैंड है , जिसका मुख्य काम शुक्राणु का निर्माण करना है | 50 वर्ष पार करने के बाद प्रोस्टेट ग्रंथि के कार्य करने की गति धीमी होने लगती है , जिससे यह ग्रंथि बढ़ने लगती है | प्रोस्टेट ग्रंथि मूत्र थैली के ऊपर रहती है , फलस्वरूप इसका आकार बढ़ने से मूत्र नली व मूत्र थैली पर दबाव बढ़ने से पेशाब संबंधी विभिन्न प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होने लगती है , जिसे बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (बीपीएच) कहते हैं | मूत्र थैली में पेशाब जमने से यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है | मूत्र थैली में स्टोन होने की संभावना होती है | हाइड्रोनेफ्रोसिस नामक समस्या भी हो सकती है | पूरे जीवनकाल में