ओसेप्रोस्टा कैप्सूल (Oseprosta Capsules)
ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल
प्रोस्टेट ग्रंथि
में सूजन व वृद्धि के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक पेटेंट औषधि
विवरण :- 50 वर्ष पार कर चुके पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि
का बढ़ना एक आम समस्या है, जिसके कारण बार-बार पेशाब जाना पड़ता है और कई बार तो पेशाब
रुक जाने की तकलीफ़देह परिस्थिति से भी मरीज को गुज़रना पड़ता है| प्रोस्टेट असल में
मेल रिप्रोडक्टिव ग्लैंड है, जिसका मुख्य काम शुक्राणु का निर्माण करना है | 50 वर्ष पार करने के बाद प्रोस्टेट ग्रंथि के कार्य
करने की गति धीमी होने लगती है, जिससे यह ग्रंथि बढ़ने लगती है| प्रोस्टेट ग्रंथि
मूत्र थैली के ऊपर रहती है, फलस्वरूप इसका आकार बढ़ने से मूत्र नली व मूत्र
थैली पर दबाव बढ़ने से पेशाब संबंधी विभिन्न प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होने लगती
है, जिसे बिनाइन प्रोस्टेटिक
हाइपरप्लेसिया (बीपीएच) कहते हैं | मूत्र थैली में पेशाब जमने से यूरिन इन्फेक्शन हो
सकता है | मूत्र थैली में स्टोन
होने की संभावना होती है | हाइड्रोनेफ्रोसिस नामक समस्या भी हो सकती है | पूरे जीवनकाल में 70-80 प्रतिशत व्यक्ति
इस बीमारी के शिकार होते हैं | यूरोलोजिस्ट का कहना है कि 50 वर्ष पार करने के बाद अगर पेशाब करने में किसी
तरह की तकलीफ़ हो तो फ़ौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए | प्रोस्टेट की अनदेखी
करने पर किडनी फेल होने की संभावना भी बढ़ जाती है |
यूरोलोजिस्ट बताते है कि बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया
(बीपीएच) होने पर लोगों को ऑपरेशन का डर सताने लगता है, पर याद रखने की ज़रूरत
है की यह रोग केवल दवा से भी नियंत्रित किया जा सकता है | डॉक्टर के निर्देश
के अनुसार दवा लेने से इस रोग का इलाज संभव है | प्रोस्टेट से पीड़ित
मरीजों को अब ऑपरेशन कराने की ज़रूरत नहीं है बल्कि दवाओं से भी यह ठीक हो सकता है
| यूरोलॉजिस्ट का कहना
है कि ऑपरेशन कराने के बाद लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
मेडिकल साइंस के आकड़ों के अनुसार, यदि व्यक्ति
वर्ष से ज्यादा उम्र का है तो 60 प्रतिशत चांस दवाओं से और 40 प्रतिशत ऑपरेशन
से ठीक होने की संभावना रहती है।
प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण :-
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पेशाब करने में दिक्कत
होना |
·
पेशाब करने के फ़ौरन
बाद पेशाब करने की इच्छा होना |
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पेशाब के साथ रक्त
निकलना |
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अचानक पेशाब बंद होने
पर पेट के नीचे दर्द होना |
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बार-बार यूरिन का
आना |
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शौच करते समय यूरिन
का टपकना |
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रात मे चार से पांच
बार पेशाब करने के लिए जाना |
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काफ़ी देर तक बाथरूम
के समय पेशाब का बाहर नहीं निकलना |
·
किडनी का फेल होना
|
कंपलीकेशन के समय प्रोस्टेट के लक्षण :- बार-बार यूरिन में
इन्फेक्शन, खून, दोनों गुर्दों का
सूजना |
कब हो सकती है किडनी फेल ?
प्रोस्टेट का नॉर्मल साइज़ 18 से 20 ग्राम होता है | हर साल इसके आकार
में 2.3 ग्राम की बढ़ोतरी होती है
| यदि इस बीमारी से
ग्रस्त किसी व्यक्ति का प्रोस्टेट का आकार 100 ग्राम से ज़्यादा
बढ़ जाए तो यह किडनी के लिए घातक होता है | चार से पाँच साल तक इसकी अनदेखी करने पर पीड़ित
व्यक्ति की किडनी फेल होने की संभावना बढ़ जाती है |
ऑपरेशन के बाद ये दिक्कतें आती है :-
ऑपरेशन के बाद 100 में से 100 लोगों का वीर्य नहीं
निकलता है, बल्कि पेशाब की थैली
में चला जाता है |
2 प्रतिशत लोगों में नपुंशकता
के चान्सेज बढ़ जाते हैं | इसके अलावा ऑपरेशन के बाद यदि इंटरनल स्पींटर कट गया तो यूरिन
रुकने की समस्या पैदा हो जाती है।
ओसेप्रोस्टा कैप्सूल के गुणधर्म :-
·
ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल मूत्र असंयम को दूर कर पेशाब करने में होने वाली दिक्कत को
दूर करता है |
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ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल रात में पेशाब को कम
कर देता है |
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ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल प्रोस्टेट के आकार को कम कर देता है |
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ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल पेशाब करते वक्त होने वाले दर्द और तकलीफ़ को कम करता है |
·
ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल का प्रयोग करने से स्खलन में सुधार आता है |
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ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल पुरुषों में बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (बीपीएच) की
समस्या को दूर करता है |
·
ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल के इस्तेमाल से पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के साथ पीएसए के
स्तर में कमी आती है |
·
ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल वीर्य का निर्माण करता है |
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ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल मूत्र आवृति को कम करता है |
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ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल मूत्र प्रवाह को मजबूत बनाता है |
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ओसेप्रोस्टा
कैप्सूल प्रोस्टेट ग्रंथि के कार्य करने की गति को सुधारता है |
सेवन
विधि :-
ओसेप्रोस्टा कैप्सूल 1-2 कैप्सूल दिन मे दो बार लें | इस औषधि का सेवन नियमित
करें अथवा इसका सेवन चिकित्सक के परामर्श के अनुसार किया जाए |
पथ्य और परहेज :-
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उचित समय पर पचने
वाला हल्का भोजन करें |
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सब्जियों में लौकी, तरोई, टिंडा, परवल, गाजर, पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई, आदि का सेवन करें
|
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दालों में मूँग व
चने की दाल का सेवन करें |
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फलों में सेब, पपीता, केला, नारंगी, संतरा, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज, चीकू आदि का सेवन
करें |
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प्रतिदिन के आहारों
को 2000मिली. तक सीमित करें |
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शराब और कैफ़ीन का
प्रयोग बंद करें या सीमित करें |
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सांयकाल को पेय पदार्थ
सीमित लें | अपने रात्रि भोजन
के बाद तरल पदार्थ ना लें |
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अरहर, मलका, मसूर, मोठ, लोबिया, काबुली चने आदि का
सेवन ना करें|
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गुड़, लाल मिर्च, मिठाई, तेल, खटाई, अचार, मसाले, मैथून तथा अधिक व्यायाम
से परहेज करें|
घरेलू उपाय (उपचार) :-
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प्रत्येक 3 घंटों में मूत्रत्याग करने का प्रयास करें |
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दो बार मूत्रत्याग
सहायक हो सकता है- मूत्रत्याग पश्चात प्रतीक्षा करें और फिर से मूत्रत्याग का प्रयास
करें |
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सक्रिय रहें | ठंडा मौसम और निष्क्रियता
मूत्र के अटके रहने के ख़तरे को बढ़ाते हैं |
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गर्म रहना और व्यायाम
सहायक होते हैं |
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उचित वजन प्राप्त
करें और उसे बनाए रखें |
धन्यवाद
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