वनितामृत सीरप (Vanitamrit Syrup)
वनितामृत
सीरप
स्त्री रोग में प्रभावी आयुर्वेदिक पेटेंट औषधि
विवरण:- मासिक धर्म से जुड़ी सभी तरह की समस्याओं हेतु मीनाक्षी फार्मास्युटिकल्स
ने विशेषज्ञों के गहन परीक्षण उपरांत मीनाक्षी वनितामृत का निर्माण किया है| यह औषधि मासिक धर्म संबंधी सभी समस्याओं को दूर कर महिलाओं को स्वस्थ बनाए रखने
में अत्यंत उपयोगी है|
कष्टार्तव : मासिक
धर्म की नियमितता और अनियमितता से किसी भी नारी के स्वास्थ्य की पहचान की जा सकती है| सामान्यत: मासिक धर्म
या माहवारी 11 से 15 वर्ष की आयु के मध्य आरम्भ हो जाती है| गर्भावस्था और स्तनपान कराने की अवस्था को छोड़कर लगभग प्रति चौथे सप्ताह स्त्री
के गर्भाशय़ की श्लेष्मिक कला से स्त्रावित होकर
योनिमार्ग से ३-४ दिनों तक बाहर आते रहने वाले रक्तस्त्राव को मासिकधर्म कहते
हैं| यह क्रम महिला के सम्पूर्ण प्रजनन काल
तक चलता रहता है अर्थात मेनार्क से लेकर मेनाेपॉज तक| मासिक धर्म निकट आने के दौरान युवतियों/महिलाओं के पेडू, पेट और हाथ पैरों में हल्का दर्द रहना सामान्य बात है, लेकिन जब य़हि मासिक धर्म तीव्र दर्द के साथ हो तो उसे कष्टार्तव कहते हैं | like Us On FB
लक्षण : महिलाओं में मासिक धर्म
के दौरान या पहले सिर दर्द, चिड़चिड़ापन, खून एवं भूख की कमी, गुस्सा एवं मानसिक अवसाद के लक्षण मिलते हैं| कमर, पेट तथा पेडू में असहनीय दर्द होता है, जो मासिक स्त्राव के प्रारम्भ में या अंत में समाप्त हो जाता है |
कारण : कुपोषण, शुद्ध हवा एवं धूप का अभाव, वंशानुगत कारण, मानसिक कारण, ट्यूमर तथा फाइब्रॉइड का होना, गर्भाशय ग्रीवा की अछिद्रता अथवा संकीर्णता एवं हार्मोंस संबंधी गड़बड़ी|
मात्रा : मीनाक्षी वनितामृत 2 से 4 चम्मच सुबह शाम गुनगुने पानी से भोजन के बाद
लें| इस औषधि का सेवन 2 से 3 माह तक
नियमित करें अथवा इसका सेवन चिकित्सक के परामर्श के अनुसार किया जाए | like Us On FB
परामर्श : इसे एक
ठंडे एवं सूखे स्थान में रखें| प्रयोग
के पूर्व शीशी को भली प्रकार हिला लें |
परहेज
एवं आवश्यक निर्देश:
1. माहवारी
कोई बीमारी नही अपितु किशोरियों एवं महिलाओं में होने वाली सामान्य प्रक्रिया है |
2. अमूमन
माहवारी के दौरान सामान्य दिनचर्या में किसी बदलाव की आवश्यकता नही होती |
3. सैनेटरी
नैपकिन का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि यह शुष्क होते हैं और इन्हें आवश्यकतानुसार बदलते रहना चाहिए |
4. तनावमुक्ति
के लिए स्वयं का मन किसी न किसी काम में लगा
कर रखना चाहिए |
5. संतुलित
भोजन लें, जिसमें साबुत अनाज, फल और सब्जियाँ शामिल हों, भरपूर मात्रा में पानी पिएं एवं सफाई का विशेष ध्यान रखें| like Us On FB
No Side Effect
AYURVEDIC
MEDICINE
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