युगवेदा प्लेटो बूस्टर रस (Yugveda Plato Booster Ras)
विवरण :- मौसम बदलने के
समय वायरल के मामले तेजी से सामने आने लगते हैं, जिससे बचने के लिए विशेषज्ञ
विटामिन-सी युक्त चीजों के सेवन की सलाह देते हैं | पर बीते कुछ
सालों में उष्णकटिबंधीय देशों में मच्छरजनित बीमारियों का हमला बढ़ा है | यूं भी
मौसम में अधिक नमी का होना मच्छरों के प्रजनन के अनुकूल होता है | मच्छरजनित बुखार
की स्थिति में मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और शरीर में
प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं | डॉक्टर भी उपचार करते समय इन दोनों बिन्दुओं का खास
ध्यान रखते हैं व मौसम बदलने के साथ अधिक पेय पदार्थ पीने व खान-पान को दुरुस्त
रखने की सलाह देते हैं | ऐसा करने से शुरूआती स्तर पर ही प्लेटलेट्स को नियंत्रित
रखने में मदद मिल जाती है | Like us on Fb
शरीर में प्लेटलेट्स की भूमिका –
एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 5 से 6 लीटर खून होता है | खून
में तरल पदार्थ, लाल व सफ़ेद रक्त कोशिकाओं के अलावा कई अन्य चीजें भी होती है,
जिनमें प्लेटलेट्स भी हैं| हमारे खून का एक बड़ा हिस्सा इनका होता है | इनका आकार
0.002 माइक्रोमीटर से 0.004 माइक्रोमीटर तक होता है | माइक्रोस्कोप से देखने पर यह अंडाकार आकृति के
दिखाई देते हैं | एक स्वस्थ व्यक्ति के प्रति माइक्रोलीटर रक्त में 1,50,000 से
लेकर 4,50,000 प्लेटलेट्स होती है |
प्लेटलेट्स का मुख्य कार्य शरीर
में रक्तस्त्राव होने से रोकना है | प्लेटलेट्स कॉलेजन नामक द्रव्य से मिलकर वहां
एक अस्थाई दीवार का निर्माण करते हैं और रक्त वाहिका की अधिक क्षति होने से रोकते
हैं | प्लेटलेट्स अस्थि-मज्जा में मौजूद कोशिकाओं के काफी छोटे कण होते हैं | यह थ्रोम्बोपीटिन
हार्मोन के कारण विभाजित होकर खून में मिल जाते हैं | 8 से 10 दिन में संचारित
होकर खुद ही नष्ट भी हो जाते हैं | शरीर में थ्रोम्बोपीटिन का काम प्लेटलेट्स की
संख्या सामान्य बनाये रखना होता है |
प्लेटलेट्स
का घटना और बढ़ना दोनों ही सही नहीं –
शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा
अधिक होने की स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोसिस कहते हैं | ये दो प्रकार के होते हैं-
अस्थि-मज्जा में असामान्य कोशिकाओं के होने के कारण जब प्लेटलेट्स बढ़ने लगते हैं
तो उसे प्राइमरी थ्रोम्बोसाइटोसिस कहते हैं वहीँ जब किसी बीमारी जैसे एनीमिया,
कैंसर, सूजन के चलते या किसी अन्य प्रकार के संक्रमण के कारण प्लेटलेट्स की संख्या
बढती है तो उसे सेकेंडरी थ्रोम्बोसाइटोसिस कहते हैं | शरीर में जरूरत से ज्यादा
प्लेटलेट्स होना शरीर के लिए कई गंभीर खतरे उत्पन्न करता है | इससे खून का थक्का
जमना शुरू हो जाता है, जिससे दिल के दौरे, किडनी फेल व
लकवा आदि की आशंका बढ़ जाती है |
जब शरीर में प्लेटलेट्स की
संख्या कम हो जाती है तो उस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहते हैं | अगर इनकी संख्या 30 हजार से कम हो
जाये तो शरीर में रक्तस्त्राव होने की आशंका बढ़ जाती है | बहते-बहते यह खून नाक,
कान, मल इत्यादि से बाहर आने लगता है | यदि यह स्त्राव अन्दर ही होता रहता है तो
शरीर के विभिन्न अंगों के फेल होने की आशंका भी बढ़ जाती है | कुछ खास तरह की
दवाओं, आनुवंशिक रोगों, कुछ खास तरह के कैंसर, कीमोथैरेपी ट्रीटमेंट, अधिक एल्कॉहोल
के सेवन व कुछ खास तरह के बुखार जैसे डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया के होने पर भी
ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है | डॉक्टरों के अनुसार जब प्लेटलेट्स की संख्या
10 हजार से कम हो जाती है, तब इन्हें चढ़ाये जाने की जरुरत होती है |
डेंगू
में कम क्यों हो जाते हैं प्लेटलेट्स ?
मादा एडीएस मांसपेशियों में न काटकर रक्तवाहिनी नसों को
निशाना बनाता है, जिससे रक्त में वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है | खून में
संक्रमण बढ़ने के बाद खून से पानी अलग होने लगता है और रक्त में छोटे कणों के रूप
में मौजूद प्लेटलेट्स की संख्या के कम होने के कारण खून का थक्का नहीं जम पाता |
आरबीसी व प्लाज्मा की अपेक्षा प्लेटलेट्स का जीवनचक्र केवल 7 से 8 दिन का होता है,
इसलिए वायरस प्लेटलेट्स को सबसे पहले प्रभावित करता है | खून में यदि आयरन या
हीमोग्लोबिन की कमी है तो प्लेटलेट्स कम होने की आशंका 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती है,
इसलिए मौसम बदलने के साथ ही खान-पान में हरी सब्जियां, आंवला, चीकू, काजू, ब्रोकली
व विटामिन-के को शामिल करना चाहिए| इसके अलावा विटामिन-सी और कैल्शियमयुक्त चीजें
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर होने से रोकती हैं |
युगवेदा प्लेटो बूस्टर रस
युगवेदा प्लेटो बूस्टर रस प्लेटलेट्स की संख्या को नियंत्रित करने के लिए एक
बहुत लाभकारी औषधि है | यह शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या सही करने व शरीर की रोग
प्रतिरोधक क्षमता को बढाने के लिए अति उत्तम औषधि है | युगवेदा प्लेटो बूस्टर रस कई गुणकारी औषधियों के मिश्रण से बना है जो इस प्रकार है-
युगवेदा प्लेटो बूस्टर रस के मुख्य घटक ( Ingredients of Plato
Booster Ras)-
Each 10 ml. contain aquas decoction of :-
1.गिलोय (Tinospora Cordifolia) 2000 mg.
2.तुलसी (Ocimum Sanctum) 1000 mg.
3.वासा (Adhatoda Vasica) 1000 mg.
4.पपीते के पत्ते (Carica papaya) 500 mg.
5.अनार (Pomegranate) 500 mg.
जानिए
मुख्य जड़ी-बूटियों को :-
गिलोय :- गिलोय को गुडूची के नाम से भी जाना जाता है, यह एक चमत्कारिक औषधि है | शरीर
की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाने के लिए यह एक उत्तम औषधि है | यह प्लेटलेट काउंट को
भी सामान्य करता है | डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लगती है, उसमें
गिलोय बहुत तेजी से असर करता है |
तुलसी :- तुलसी शब्द का अर्थ है “अतुलनीय पौधा” | तुलसी भारत में सबसे पवित्र जड़ी-बूटी
मानी जाती है और “जड़ी बूटियों की रानी” भी मानी जाती है | तुलसी का सेवन
प्रतिरक्षा प्रणाली को बढाता है | तुलसी में विभिन्न रासायनिक यौगिक शरीर में
संक्रमण में लड़ने वाली एंटीबॉडी के उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि करते हैं
|
वासा :- अडूसा जिसे वासा भी कहा जाता है, एक आयुर्वेदिक औषधि है | इसका प्रयोग खांसी,
अस्थमा, साँस की तकलीफ, नाक बंद होना, रक्तस्त्राव संबंधी विकार, एलर्जी, श्वशन
प्रणाली के संक्रमण, गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्त्राव, माहवारी में अत्यधिक खून
बहना और नाक से खून बहना आदि समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है |
पपीते के पत्ते :- प्लेटलेट की संख्या बढाने के लिए पपीते के फल और पत्तों का
प्रयोग सफलतापूर्वक किया जाता है | अक्सर
डेंगू, मलेरिया बुखार के दौरान रोगी की प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है जिसे
जिसे बढाने के लिए पपीते के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है | 2009 में मलेशिया में
एशियाई संस्थान और प्रोद्योगिकी के शोधकर्ताओं ने पाया कि पपीते के पत्ते के रस
में डेंगू बुखार का निदान करने वाले लोगों की प्लेटलेट संख्या में वृद्धि हो सकती
है |
अनार :- अनार एक बेहद पौष्टिक फल है | इसमें लौह तत्व प्रचुर मात्रा में होने से यह
हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट की मात्रा बढाने में मदद करता है | इसके सेवन से गैस भी
नहीं बनता है और रोगी का पाचन भी सुधरता है | अनार के बीज शरीर के लिए बहुत
फायदेमंद होते हैं, इससे रक्त बनता है | अनार में वायरस और बेक्टीरिया से लड़ने का
गुण पाया जाता है, जिससे इम्युनिटी बढती है |
युगवेदा प्लेटो बूस्टर रस के लाभ
/ फायदे ( Benefits of Yugveda Plato Booster Ras ) :-
युगवेदा
प्लेटो बूस्टर रस डेंगू के लिए अति
लाभकारी औषधि है |
युगवेदा
प्लेटो बूस्टर रस लाल रक्त कणों
(R.B.C.) को बढाने में सहायक होता है |
युगवेदा
प्लेटो बूस्टर रस एंटी वायरल की
तरह कम करता है तथा इन्फेक्शन होने पर ब्लड प्लेटलेट को बढाता है |
युगवेदा
प्लेटो बूस्टर रस शारीरिक एवं
मानसिक तनाव को दूर कर बौद्धिक क्षमता को बढाता है |
युगवेदा
प्लेटो बूस्टर रस दौर्बल्य, त्वचा
रोग तथा कई प्रकार के ज्वर (बुखार) में श्रेष्ठ औषधि का कार्य करता है |
युगवेदा
प्लेटो बूस्टर रस सभी प्रकार के ज्वर में
अति उत्तम औषधि की तरह काम करता है |
युगवेदा प्लेटो बूस्टर रस के
चिकित्सकीय उपयोग (Uses of Yugveda Plato Booster Ras) :-
प्लेटलेट्स को बढाता है |
लाल रक्त कणों(R.B.C.) का
निर्माण करता है |
शरीर की रोग प्रतिरोधक
क्षमता बढाता है |
मानसिक व शारीरिक तनाव
दूर करता है |
सभी प्रकार के ज्वर को
दूर करता है |
डेंगू, मलेरिया आदि रोगों
में उपयोगी |
सेवन विधि
:- चाय के 2 से 4 चम्मच भर
कर युगवेदा प्लेटो बूस्टर रस का सेवन समभाग
गुनगुने जल के साथ दिन में 2 से 3 बार भोजन के पश्चात किया जाये अथवा इसका सेवन
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार किया जाये |
परामर्श :- इसे एक ठंडे
एवं सूखे स्थान में रखें | प्रयोग के पूर्व शीशी को भली प्रकार हिला लें |
अन्य उपयोगी सलाह (Other
Important advice ) :-
1.प्लेटलेट्स की संख्या
कम हो जाने पर पेट की अन्दर की त्वचा लाल हो जाती है जिससे एसिडिटी और गैस की
समस्या बढ़ जाती है | ऐसी हालत में रोगी को कच्चा, भारी, तीखा और मसालेदार आहार
नहीं देना चाहिए |
2.रोगी को चाय, कॉफ़ी,
शराब और धूम्रपान से दूर रहना चाहिए |
3.रोगी को एक साथ अधिक
आहार देने की जगह थोड़ा-थोड़ा आहार हर 2-3 घंटे से देते रहना चाहिए |
4.प्लेटलेट कम होने पर
बिना डॉक्टर की सलाह से कोई भारी दवा लेने से हानि हो सकती है | बिना डॉक्टर की
सलाह लिए रोगी को कोई भी दवा नहीं देनी चाहिए |
5.प्लेटलेट की संख्या
बहुत कम होने पर ब्रश करते समय दांतों को जोर से नहीं घिसना चाहिए |
6.रोगी को नाक या दांत से
खून आना, पेशाब में खून आना, आँखें लाल होना, शरीर पर लाल चकते आना, उल्टी में खून
आना या साँस लेने में तकलीफ होना जैसे कोई लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर को
दिखाना चाहिए |
7.शराब का सेवन सीमित
करें क्योंकि यह अस्थि-मज्जा में प्लेटलेट्स के उत्पादन को कम कर सकता है |
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